Impact Factor - 7.125

Tuesday, January 21, 2020

अकेलापन

अकेलापन


बहुत अकेला हूं
वीरान हूं और तन्हा हूँ।
मगर फिर भी खुदा
तेरी मैं पहचान हूं।


बहुत खामोश हूं
गुमनाम हूं गुमसुम हूं
मगर फिर भी
मैं तेरी आवाज हूं।


भटकता हूं कभी मन से
कभी तन से कभी आत्मा से
मगर फिर भी एक टक
स्थिर हूँ तेरी याद में।


कभी रोता हूं
कभी हंसता हूं
कभी मुस्कुराता हूं
मगर फिर भी
बैठ तनहाई में
तुम से ही दिल लगाता हूं।


राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(भाषा अध्यापक)


No comments:

Post a Comment

Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal February - 2025 Issue