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Tuesday, January 7, 2020

बारिश के बाद (कहानी)

एक मूसलाधार बारिश में शांत बैठी थी संगीता, बारिश इतनी तेज हो रही और हवा भी। संगीता देख रही थी बारिश के बूंदों को। ऐसा लग रहा था कि खुद की आँखों से गिरती रहती यहजल धारा। कुछ समझ नहीं पा रही थी संगीता।


अब हॉस्पिटल में शांत बाताबरण था, बहुत मुश्किल से लोग आ पा रहे थे। इतने में एकेले रह गई थी। संगीता भी एक डॉक्टर थी, दस साल से इसी हॉस्पिटल में काम कर रही थी।


कितने कुछ देखा, महसूस किया संगीता ने इस हॉस्पिटल में।


अब यह अजनबी नहीं लगता है संगीता को। याद कर रहीं थी


एक और शहर को, जहाँ पर उसने मेडिकल की तालीम ली


थी, यह शहर भी अजीब थी। इसी शहर में रहती थी अपनी माँ के साथ, पिता तो कब ही चले गए थे। माँ और संगीता दोनों का संसार था।


कितने संघर्ष भरा जीवन देखें थे दोनों ने, फिर भी हिम्मत नहीं हारी थी दोनों ने। बहुत ही मेधावी थी पढ़ने में।मेडिकल के पढ़ाई  के बाद दो साल इसी कॉलेज ही काम की थी संगीता।


दो साल के बाद संगीता एक नए शहर में आ गई थी। नया काम , एक उमंग के साथ। माँ तो कब ही चली गई थी।


एकदम एकेली हो गई थी संगीता, काम में खुदको समर्पण कर दिया था। माँ जाने के बाद संगीता ने संकल्प लिया था कि कभी शादी नहीं करेगी। कुछ दूर के रिश्ते थे अभी भी।


कभी कभी वे लोगों का आना जाना रहता था, लेकिन संगीता


तो मन में जिद ले कर बैठी थी।


करीब दो साल पहले एक चालीस साल के युवा इसी हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। काफ़ी बीमारियों ने जकड़ लिया था उन्हें। करीब छ महीने रहे वह। उनका नाम राजीव


पेशे वे एक कंपनी में बहुत बड़े अफसर थे। संगीता जब भी देखने आती थी बहुत अच्छे  बातें करते थे, जीवन जीने


मार्ग बताते थे। कभी कभी कविताएं भी सुनाते थे।


'क्या हुआ आप फिर से दवाइयां नहीं ली ' संगीता थोड़ा जोर देकर बोली


राजीव ने संगीता को देखकर  एक मुस्कुराहट भरी नज़र


देखा और बोल पड़े ' संगीता तुम आ गई हो  तुम ही देखों'


'देखिए आप ऐसे हरकत मत कीजिए'


राजीव एक अवाक, आश्चर्यचकित दृष्टि से देखा और उसे लगा संगीता एक अभिभावक के रूप में अनुशासन में रखना चाहती है।


फिर संगीता बोलना शरू किया ' देखिए आप ऐसे मत कीजिए, आपको स्वस्थ होना है कि नहीं? अचानक रुक संगीता सोचने लगी क्या वह कोई दबाव डाल रहीं है राजीव पर?


'जी डॉक्टर साहेबा आपको बिलकुल हक है बोलने का और मेरे बच्चों जैसे हरकत को काबू में लाना' राजीव एक हताश सुर में बोले।


कुछ समय के बाद संगीता राजीव को समझा कर चली गई।


राजीव भी एक अच्छे मरीज़ की  तरह थोड़ा आराम करने का मन बना लिया।


ऐसे में राजीव को नींद आने लगी, और वे स्वप्ने भी देखने लगे।


एक सुनहरे स्वप्ने, जहाँ पर उन्हें अतीत दिखाई देने लगी।


कैसे राजीव जी तोड मेहनत करके इतने उपर आए,उनके कंपनी बाले कितने भरोसा करते है उन पर।


अचानक नींद खुली तो सामने कोई कंपनी के आदमी


खड़े थे,सब पूछ रहे थे।


राजीव ने पूछा 'आपलोग यहाँ'? जी सर हमलोग आपकी खैरियत पूछने आए है? 'अरे नहीं भाई मुझे कुछ नहीं हुआ है'


'कुछ ही दिनों में डिसचार्ज हो जायूँगा'


और कुछ दिन, फिर महीने बीत गए, धीरे धीरे राजीव ठीक होने लगे थे। फिर से उनमें उत्साह, उमंग लौट कर आ रहा था। एक उम्मीद भी, उम्मीद या भरोसा राजीव को संगीता से हुआ या हो रहा था। राजीव मन ही मन मे एक लगाव में जुड़ रहे थे, यह का प्यार का लगाव था?


संगीता भी कुछ अपने ही ख्यालों में रहती था, उसे कुछ महसूस हुए, एक हवा जैसे कोई खुशबू लेकर आती है ऐसा कुछ, जैसे ओस  की बूंदें सूखे पत्ते के ऊपर गिरती है।


लेकिन संगीता अनकही शब्द कैसे बोलेगी ऐसे में दुविधा में थी।


राजीव डिसचार्ज हो गए थे, अपने काम में मसरूफ थे।


जाने से पहले उन्होंने संगीता से एक वादा ले कर गए थे कि


वे समय पर दवाइयाँ लेंगे, और अपना खयाल भी रखेंगे।


लेकिन वे भी बोल नहीं पाए ।


एक साल बीत चुका था, कभी कभी बात होती थी


संगीता का राजीव से। संगीता एक दूसरे शहर में आ गई थी।


राजीव के पूछने पर बोली थी क्या करेगी नौकरी है जाना ही होगा।


उसी दिन का बारिश एक तवाही लेकर आई थी। इतने में संगीता को घंटी सुनाई दी, अभी कोन आ सकता है?


जब देखा दरवाजे पर राजीव थे।


एकदम भीग गए , राजीव बोले ‘मैं आ गया संगीता


तुम्हारे पास !!


संगीता बोली ' तुमने एक साल लगा दिए बोलने में'


 



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