कविता:-
*"लुभावनी घूप"*
"ठिठुरन हर दिन बढ़ती रही,
लुभावनी घूप की चाहत -
पल-पल दिल में पलती रही।
कितने दिन बीत गये साथी,
लुभावनी घूप के -
दर्शन को तरसती रही।
जाड़े की ठंड में साथी,
लुभावनी घूप-
तन-मन को भाती रही।
लुभावनी घूप में बतियाना,
गर्म चाय से पकौडे खाना-
मन को लुभाती रही।
कई-कई दिनो में कोहरे की चादर,
चीर कर निकली घूप-
तन-मन को सहलाती रही।
ठिठुरन हर दिन बढ़ती रही,
लुभावनी धूप की चाहत-
फल-पल दिल में पलती रही।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
ःःःःःःःःःःःःःःःःः
कविता:-
*"दमन"*
"सद् -कर्मो की धरती पर,
साथी दमन करो-
कुत्सित विचार धारा का।
स्वार्थ की धरती पर साथी,
उपजे जो अहंकार-
दुश्मन बने संबंधों का।
एक दीप जले जो साथी,
मिटता जीवन अंधियारा-
होता वास सत्य का।
दमन करे साथी जीवन में,
अपने पग पग -
छाये विकारो का।
सार्थक हो जीवन साथी,
उदय हो सूरज-
सद् विचारो का।
सद्कर्मो की धरती पर,
साथी दमन करो-
कुत्सित विचार धारा का।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
ःःःःःःःःःःःःःःःःः
कविता:-
*"इश्क-प्यार-मोहब्बत"*
"इश्क-प्यार-मोहब्बत साथी,
कुछ कह लो तुम-
ये चाहत हैं-मेरी।
भूल चुका हूँ पतझड़ की चुभन,
हर साँस में साथी-
मधुमास हैं-मेरी।
हर पल मिलन की चाहत मे ही,
जीवन पथ पर -
साथी भटका हूँ -तेरी।
तेरी तो नफरत में भी बसा प्यार,
तू भूल कर भूला न पायेगी-
जीवन में मोहब्बत मेरी।
हर कदम पर तुझे याद आयेगे,
बीते हुए पल-
मान ही जा तू बात मेरी।
इश्क-प्यार -मोहब्बत साथी,
कुछ भी कह लो तुम-
ये चाहत हैं-मेरी।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःः
सुनील कुमार गुप्ता
ःःःःःःःःःःःःःःःःः
कविता:-
*"साथी जीवन में"*
"जीवन में निर्भय हो कर साथी,
जीना हैं-तो-
अहिंसा को अपनाना होगा।
सत्य-पथ चल कर साथी,
जीवन बगिया को-
महकाना होगा।
सींच स्नेंह से संबंधो को साथी,
अपनत्व का मान-
बढ़ाना होगा।
काम-क्रोध-मद-लोभ को साथी,
इस जीवन में -
त्यागना होगा।
पाने को मोक्ष जीवन में साथी,
फिर से भक्ति में-
लीन होना होगा।
जीवन में निर्भय होकर साथी,
जीना हैं-तो-
अहिंसा को अपनाना होगा।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्तागुप्ता
S/0श्री बी.आर.गुप्ता
3/1355-सी,न्यू भगत सिंह कालोनी,
बाजोरिया मार्ग, सहारनपुर-247001(उ.प्र.)
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