माँ सरस्वती
माँ सरस्वती हँसवाहिनी ।
माँ तू श्वेत वस्त्र धारीणी।।
माँ तू कमल पुष्प पदमासिनि।
माँ तू रिद्धी सिद्धी दायिनी।
मातेश्वरी माँ शारदे वर दे...
माँ तू करुणामई ।
माँ तू ममतामयी।।
माँ ज्ञान प्रकाश प्रदायिनी।
माँ हर तिमिर, भर ज्योति वैभवशालिनि।
मातेश्वरी माँ शारदे वर दे...
माँ शारदा तेरी कृपा हो
माँ आपकी दया हो
हर प्राणियों के ह्रदय में बसों माँ
हर मनुष्य को संस्कार से भरो माँ
मातेश्वरी माँ शारदे वर दे ...
माँ हर हाँथ में कलम हो
हर हस्त में पुस्तक हो
माँ हर प्राणी साक्षर हो
हर वाणी में वीणा बसे माँ
वर दे मातेश्वरी माँ शारदे ....
स्नेह,एकता भक्ति वरदे माँ
विधा -बुद्धि का ज्ञान दे माँ
हर दिशा में रंग भर दे माँ
ज्योति प्रकाशित पथ दे माँ
मातेश्वरी माँ शारदे वर दे...
सर्व देव पूजित हैं तू माँ
सर्व वेदों की ज्ञानी माँ
पुस्तक हाँथों में शोभित
कर बद्ध करूँ नतमस्तक
माँ शारदा वर दे माँ ...|
सविता गुप्ता
राँची (झारखंड)
(Peer Reviewed, Refereed, Indexed, Multidisciplinary, Bilingual, High Impact Factor, ISSN, RNI, MSME), Email - aksharwartajournal@gmail.com, Whatsapp/calling: +91 8989547427, Editor - Dr. Mohan Bairagi, Chief Editor - Dr. Shailendrakumar Sharma IMPACT FACTOR - 8.0
Thursday, January 30, 2020
माँ सरस्वती (कविता)
Aksharwarta's PDF
-
मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा | पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या | मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई भूमिका : लोक ...
-
सारांश - भारत मेे हजारों वर्षो से जंगलो और पहाड़ी इलाको रहने वाले आदिवासियों की अपनी संस्कृति रीति-रिवाज रहन-सहन के कारण अपनी अलग ही पहचान ...
-
हिन्दी नवजागरण के अग्रदूत : भारतेन्दु हरिश्चंद्र भारतेंदु हरिश्चंद्र “निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति कौ मूल” अर्थात अपनी भाषा की प्रगति ही हर...
No comments:
Post a Comment