Impact Factor - 7.125

Tuesday, January 21, 2020

नाजुक रिश्ते

नाजुक रिश्ते


बहुत नाजुक से हो गए है आजकल ये रिश्ते,
अपने हर रिश्ते को कुछ इस तरह से निभा लो!
अकड़ बढ़ गयी हो औऱ  हो टूटने के कगार पर,
तो कभी तुम झुक जाओ कभी उसे झुका लो।
अपने हर रिश्ते को कुछ इस तरह से निभा लो!!


दूरियां बहुत बढ़ गयी हो, और खलने लगे हो फासले!
तो कभी तुम साथ बैठ जाओ कभी उसे बिठा लो!!
अपने हर रिश्ते को कुछ इस तरह से निभा लो!!


आखों में उमड़ता हो सैलाब, और बहे आंसू बार बार,
तो कभी तुम खुद हंसलो औऱ कभी उसे हसांलो!!
अपने हर रिश्ते को कुछ इस तरह से निभा लो!!


भरने लगे जहर मन मे, औऱ बढ़ने लगी हो नफ़रतें।
तो कभी तुम गले लग जाओ कभी उसे गले लगालो!
अपने हर रिश्ते को कुछ इस तरह से निभा लो!!


शांति हो जब हर ओर, औऱ खामोशी छाई हो रिश्ते में!
तो कभी खुद तुम रो पड़ो औऱ कभी उसे रुला लो!!
अपने हर रिश्ते को कुछ इस तरह से निभा लो!!


दिल मे दर्द बेशुमार हो, पर टूटने न देना रिश्ते को!
कुछ बातें वो भूल जाये और कुछ बातें तुम भुला लो!
अपने हर रिश्ते को कुछ इस तरह से निभा लो!!


पराया नही अपना है रख, उसकी गोद मे सिर "मलिक"
कभी वो तुम्हे मना ले और कभी तुम उसे मना लो!
अपने हर रिश्ते को कुछ इस तरह से निभा लो!!


सुषमा मलिक "अदब"
रोहतक (हरियाणा)


No comments:

Post a Comment

Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal, January - 2025 Issue