पानी गया पाताल में
भागीरथ को बुलाओ
पानी बचत करो अब
भविष्य सुंदर बनाओ,
पानी की प्रत्येक बूंद
अमृत सम लगती है
पानी की कमी हो तो
जीवन भर खलती है,
पानी को जो बचाता
वो ही नाम कमाएगा
बिन पानी के जन ही
मिट्टी में मिल जाएगा,
जल शानदार कल है
जल बचत बड़ा दान
जल बचत अपनाइये
बढ़ जाए जग में शान।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**
जल
घट रहा जल
पल पल पल
देर सवेर ढूंढो
बस एक हल,
जल नहीं हो
क्या कर लोगे
बड़ी समस्या
दोष किसे दोगे,
शुद्ध जल को
ढूंढते बस रहो
नहीं मिले तो
मत नही कहो,
जल ही प्राण
्रजल है रक्षक
तुम मत नहीं
बनना भक्षक।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**
लघुकथा - आधुनिकता
रमेश कैसे हो? चुनावों की तैनाती रिहर्सल में भीड़ में पीछे से आवाज आई। एक युवक हाथ में कागज लिए 54-55 वर्षीय शिक्षक रमेश को पुकार रहा था।
रमेश ने एकटक युवक को देखा और आत्मीयता से पूछा-भाई मैंने आपको पहचाना नहीं? आप अपना परिचय देंगे कि किस प्रकार मुझे जानते हो? युवक ने रमेश की आंखों में आंखें मिलाकर कहा-'तुम मुझे भूल गए। मैं कभी 'तुम्हारे पास सातवीं कक्षा में पढ़ता था।
...तुम पढ़ते थे, यह नामुमकिन लगता है। मेरी तो जीवन भर शिक्षण रूपी तपस्या आज शून्य हो गई। एक मेरा विद्यार्थी रहा और वह मुझे नाम से ऐसे पुकार रहा हो जैसे बच्चे को पुकार रहा हो। उस पर आदर की बजाय तुम और तुम्हारे जैसे तुच्छ शब्द प्रयोग करे? रमेश सोच में पड़ गया कि हम अपने से दो चार साल बड़े जन को भी आदर से पुकारते हैं और आधुनिक पीढ़ी के ये शिष्य अपने गुरु को नाम से संबोधित करते हैं? हमारी सभ्यता और संस्कृति कहां जा रही है? क्या युवा पीढ़ी की यही सोच बन गई? कई अनुत्तरित प्रश्नों के जंजाल में खोया रमेश आगे बढ़ गया।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा**
वो जरूर सुनेगा
सूखा पडऩे से बर्बाद हुई फसल को देखकर राजू किसान रो पड़ा और अपनी पत्नी रमली को कहने लगा-हम बर्बाद हो गए। मेहनत पर पानी फिर गया। बच्चे भूखो मरेंगे। अनाज कहा से आएगा?
रमली ने समझाते हुए कहा-अनाज जरूर आएगा। वो दाता ही अन्न देगा। राजू से बातें करते करते रमली ने कहा-लो बारिश होने लगी है। अब बीज बो देना देखना इस बार पीछे तक की भरपाई वो दाता करेगा। फसल लहलहाई और बेहतर पकने के बाद वो बंपर पैदावार हुई की राजू की आंखें मारे खुशी के भर आई। पैदावार को देखकर राजू व रमली ने भगवान का आभार जताया। तभी रमली ने कहा-हमें विश्वास था कि वो दाता सबको अन्न एवं जल देते हैं। हमारी आस्था सफल हुई।
**होशियार सिंह, लेखक,कनीना,हरियाणा*
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