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Sunday, February 16, 2020

भारत के इतिहास बोध में वैदिक संस्कार है। - प्रो. कपिल कपूर

भारत के इतिहास बोध में वैदिक संस्कार है। - प्रो. कपिल कपूर

 

मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, हिन्दी भवन, भोपाल द्वारा आयोजित शरद व्याख्यान माला में ‘भारतीय इतिहास बोध’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में प्रसिद्ध विचारक डॉ. कपिल कपूर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “भारत के इतिहास बोध में वैदिक संस्कार है। इसी संस्कार से विश्व संस्कारित हुआ है। 

इस अवसर पर ख्यात पत्रकार श्री बनवारी ने कहा कि इतिहास बोध हमें प्रेरित करता है।

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्जवलन से हुआ। डॉ. जवाहर कर्नावट, निदेशक, हिन्दी भवन, भोपाल ने अतिथियों क स्वागत पुस्तक और पुष्प गुच्छ भेंट देकर किया एवं श्री रघुनंदन शर्मा के ने अतिथियों का अभिनंदन करते हुए स्वागत वक्तव्य दिया।

कार्यक्रम में इंडिया टुडे (हिन्दी) के संपादक श्री अंशुमान तिवारी ने उनकी हाल ही में प्रकाशित प्रसिद्ध पुस्तक ‘लक्ष्मीनामा’  धर्म और संस्कृति को केन्द्र में रखकर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में छह विद्वानों को सम्मानित किया गया| ‘श्री नरेश मेहता वांग्मय सम्मान’ डॉ. जगन सिंह एवं श्री अंशुमान तिवारी को प्रदान किया गया| गाँधी चिंतन के विचारक श्री बनवारी को ‘श्री वीरेन्द्र तिवारी स्मृति रचनात्मक सम्मान’ एवं प्रो. शम्भू गुप्त को ‘डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय स्मृति आलोचना सम्मान’ से सम्मानित किया गया| श्री शैलेश मटियानी स्मृति कथा सम्मान भोपाल के कथाकार श्री मुकेश वर्मा को एवं रंगमंच को समर्पित श्री अशोक बुलानी को डॉ. सुरेश शुक्ल ‘चन्द्र’ स्मृति नाट्य सम्मान’ से सम्मानित किया गया| इस अवसर पर श्री एम. एल. खरे की पुस्तक ‘रघुवंशम’ का हिन्दी पद्यानुवाद एवं डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय की पुस्तक “भारतीय गल्प विवेचना दृष्टि” का लोकार्पण किया गया| आयोजन की अध्यक्षता श्री रमेशचंद्र शाह ने किया। मंच संचालन सुश्री सुनिता खत्री एवं आभार प्रदर्शन श्री युगेश शर्मा ने किया। इस अवसर पर श्री कैलाशचंद्र पन्त, मंत्री संचालक हिन्दी भवन, श्री संतोष चौबे, कुलाधिपति टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल,श्री रमेश दबे, श्री राजकुमार सौमित्र, जबलपुर, श्री मनीष चन्द्र शुक्ल, श्रीमती ज्योति बाला श्रोत्रिय, श्री यतीन्द्र नाथ राही, श्री बटुक चतुर्वेदी एवं अन्य संस्थाओं के प्रमुख सहित बड़ी संख्या में शहर के नागरिक उपस्थित रहे। 


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