Impact Factor - 7.125

Saturday, February 15, 2020

लघुकथा राष्ट्र अर्चन में गणेश परिक्रमा है-डॉ उमेश कुमार सिंह

लघुकथा राष्ट्र अर्चन में गणेश परिक्रमा है-डॉ उमेश कुमार सिंह


लघुकथा का  प्राचीनतम स्वरूप उपनिषदों में मिलता है -डॉ बिनय राजाराम

भोपाल | लघुकथा राष्ट्र अर्चन में गणेश परिक्रमा है ,हमारे सृजन में नकारात्मकता आ रही है इसे सकारात्मकता की और मोड़ना साहित्यकारों की बड़ी जबावदारी है ,यह कहना है साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ उमेश कुमार सिंह का वे मुख्य अतिथि के रूप में लघुकथा शोध केंद्र भोपाल द्वारा आयोजित लघुकथा प्रसंग के अंतर्गत विमर्श में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे है ,दुष्यंत स्मारक पांडुलिपि सभागार में आयोजित लघुकथा रचना पाठ के आयोजन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ बिनय राजाराम ने कहा कि लघुकथा हमें उपनिषदों में मिलती है इसके माध्यम से गूढ़ से गूढ़ रहस्य भी बहुत कम शब्दों में व्यक्त किये जा सकते हैं इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कथाकार श्री हीरा लाल नागर ने कहा कि एक लघुकथकार को बड़ी कहानियां भी लिखना चाहिए,लघुकथाओं का दायरा व्यापक होना आवश्यक है | कार्यक्रम में आधार वक्तव्य एवम स्वागत भाषण शोध केंद्र की निदेशक कांता रॉय ने देते हुए विस्तार से आयोजन की रूप रेखा पर प्रकाश डाला | घनश्याम मैथिल अमृत ने गोष्ठी का संचालन किया इस अवसर पर डॉ मौसमी परिहार ने 'बन्द पड़े लिफाफे ', सतीशचन्द्र श्रीवास्तव ने 'उम्र के समाचार ', गोकुल सोनी ने 'शांतिपूर्ण थाना क्षेत्र ', मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी ने 'फालतू', शाइस्ता जहां ने 'भांति भांति के आवारा कुत्ते ', इसके साथ ही सरिता बघेल,मधुलिका श्रीवास्तव, विनोद जैन ,डॉ राजेश श्रीवास्तव ,अशोक धमेनिया,मेघा मैथिल, डॉ मालती बसन्त ,आनंदकुमार तिवारी ने भी अपनी श्रेष्ठ लघुकथाओं का पाठ किया कार्यक्रम।के अंत में विपिन बिहारी वाजपई ने सभी का आभार व्यक्त किया |


No comments:

Post a Comment

Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal, January - 2025 Issue