नारी रुप अनूप
मातृशक्ति के अनेक रुप
कार्यशैली इसकी अनूप ।
घर- आंगन की स्वच्छता
और सेवा का गुण खूब ।।
माँ,बहन,बेटी,पत्नी रुप
दोनों कर है दस अनुरुप ।
पढने -लिखने में है आगे
मुकाम पाकर होय खुश ।।
समझें खुद को अनुज
कुल को दें छांव सहे धूप ।
ममता,समता का सागर
पूजे बेटी पग,धन्य मनुज ।।
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बेटियां
पढ़-लिखकर आगे बढ़ रही बेटियां
नई इबारत लिख रही है बेटियां ।
खेत में उगा रही है अन्न - सब्जियां
चला रही है खेत में ट्रेक्टर बेटियां ।।
अंतरिक्ष में मिसाल बनी है बेटियां
हर क्षेत्र में कमाल कर रही बेटियां ।
हौंसला लिए विशाल जागी बेटियां
बनकर लाल आगे निकली बेटियां ।।
गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
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