यज्ञ है मुश्किल
पर मुमकिन नहीं
कठिन है परीक्षा की घड़ी
संयम से घरों में रह कर
टूटने ना देंगे जीत की कड़ी
हार नहीं हरा कर मानेंगे
हर कष्टों का हवन करेंगे
जन जन जय घोष करेंगे
अदृश्य गरल को धो डालेंगे
दीपों की माला से अलंकृत
भारत वर्ष को लौ से सुसज्जित
गम के तिमिर हर ,कर दें उदित
फिर से हर मुख हो मुदित
काले बादल से झाँकेगा चंदा
अमावस दूर करेगी पूर्णिमा
जगमग ज्योति की उष्मा से
कर्मवीरों की श्रम साधना से
नव विहान प्रकाश पुंज की लड़ियों से
अंधकार को उजाले के विश्वास से
आओ मिटाए अंधतमस को
मिल जुल रख फ़ासले के प्रयास से...
सविता गुप्ता
राँची-झारखंड
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