मेरी लिपि मेरी शान, क्यों करूँ विदेशी का गुणगान।
भारतीय भाषा मंच, वैश्विक हिंदी सम्मेलन एवं नागरी लिपि परिषद
की ओर से राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन
भारतीय भाषा मंच, वैश्विक हिंदी सम्मेलन एवं नागरी लिपि परिषद की ओर से 26/06/2020 को राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर किया गया। इसका विषय था- मेरी लिपि मेरी शान, क्यों करूं विदेशी का गुणगान। इसकी अध्यक्षता डॉ. विनोद बब्बर, पत्रकार एवं सदस्य नागरी लिपि परिषद ने की। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. मोतीलाल गुप्ता, निदेशक वैश्विक हिंदी सम्मेलन एवं पूर्व उपनिदेशक राजभाषा, गृह मंत्रालय भारत सरकार ने भाग लिया। श्री ईश्वर दयाल, राष्ट्रीय सह संयोजक भारतीय भाषा मंच एवं डॉ. ब्रजेश गौतम अध्यक्ष संस्कृत शिक्षक संघ दिल्ली का सान्निध्य रहा। इस वेबिनार का संचालन डॉ. वी दयालु, संयोजक, भारतीय भाषा मंच दिल्ली ने किया। भारतीय भाषा मंच 2015 में स्थापित हुआ। इसके संरक्षक श्री अतुल कोठारी जी हैं। यह संगठन पूरे देश में विभिन्न भाषाओं पर काम करने वाले लोगों को एक मंच पर लाकर भारतीय भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य करता है तथा सभी भारतीय भाषाओं को सम्मान देता है।'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' भारतीय भाषाओं की प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी प्रशिक्षण और हिंदी के प्रचार प्रसार के क्षेत्र में कार्यरत है। पूज्य विनोवा भावे ने 1975 में नागरी लिपि परिषद की स्थापना की थी। उनका आग्रह था कि भारत की सभी भाषाओं की लिपि एक हो ताकि एक दूसरे की भाषा को जान सकें। कार्यक्रम में डॉ. मोतीलाल गुप्ता जी ने बताया कि किस तरह हम कंप्यूटर में, हिंदी देवनागरी अथवा अन्य भारतीय भाषाओं की लिपि को टाइप कर सकते हैं। अपना कंप्यूटर खोलें उसके बाद कंट्रोल पैनल पर जाएं और फिर clock and Region पर जाएं, फिर Region पर जाएँ। उसके बाद Language prefrenced पर क्लिक करें और हिंदी, गुजराती मराठी जो भी आपकी इच्छा हो उस भाषा का चयन करें। लैंग्वेज हॉट की पर ओके करें। उसके बाद इच्छित कीबोर्ड को एक्टिव करें। हिंदी अथवा कोई भी भाषा सक्रिय करने पर आपको स्वत: Inscript कीबोर्ड मिल जाता है। प्रारंभ में स्वत: English आती है। बाद में आप लैंग्वेज बार पर Eng से अथवा Shift + Alt को एक साथ दबा कर अपनी भाषा बदल सकते हैं। इस तरह से यहां पर आप हिंदी गुजराती, मराठी, देवनागरी या अन्य किसी लिपि को आप टाइप करना शुरू कर सकते हैं। विशेष अक्षरों के लिए शिफ्ट की दबाकर काम करना है। bhashaindia.com से आप हिंदी इंडिक कीबोर्ड भी डाउनलोड कर सकते हैं। जी मेल से एप्स, एप्स से Docs और Tools, उससे गूगल वॉइस, उससे माइक के निशान पर अपनी भाषा चयनित करते हुए क्लिक करें । आप अब बोल कर टाइप कर सकते हैं। इस तरह आप कंप्यूटर में माइक लगाकर, माइक्रोफोन लगा कर के बोलकर आप यहां पर टाइप करना सीख सकते हैं ।
मोबाइल पर अपनी भाषा और लिपि में लिखना और भी आसान है। मोबाइल की सेटिंग में जाएं। वहां लैंग्वेज इनपुट पर जाना है।( हर मोबाइल में व्यवस्था थोड़ी अलग होती है इसलिए किसी मोबाइल में जनरल/ एडिशनल सेटिंग में या सिस्टम में यह हो सकता है।) उसके बाद लैंग्वेज इनपुट पर जाएं, लैंग्वेज इनपुट के बाद गूगल वॉइस टाइपिंग पर जाना है। यह सीधे उसमें मिल सकता है या वर्च्युल कीबोर्ड में होगा। गूगल वॉइस टाइपिंग पर क्लिक करें, Languages पर जा कर अपनी भाषा चुनें और सेव करें। उसके बाद भाषा बदलें। गूगल वॉइस टाइपिंग पर जाने से पहले भाषा न बदलें, अन्यथा पूरी सेटिंग आपकी दूसरी भाषा में हो जाएगी। गूगल वॉइस टाइपिंग के बाद ही भाषा को बदलना है। आप बाहर आएंगे। उसके बाद आपके वर्चुअल कीबोर्ड पर आपको आपकी मनचाही भाषा दिखाई देगी।
वहां दो माइक के चिह्न दिखाई देंगे। जहां कीबोर्ड है उसके ठीक ऊपर वाले माइकपर क्लिक करें। वहां उसका रंग बदलेगा और आप बोल कर टाइप कर सकते हैं । आप इसे वाट्स ऐप, फेसबुक, ट्विटर और ई-मेल पर शेयर कर सकते हैं। कॉपी कर वर्ड फाइल में सुरक्षित कर सकते हैं। इस तरह आप से बड़ी से बड़ी पुस्तक भी लिख सकते हैं। पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन बनाकर छात्रों को पढ़ाने में प्रयोग कर सकते हैं। अपनी भाषा और लिपि के प्रयोग में आप और आगे बढ़ते जाएंगे। आप दूसरे लोगों को भी सिखा सकते हैं ।
कुछ शब्दों की वर्तनी अशुद्ध हो सकती है, उनको ठीक करने के लिए मैनुअल टंकण से ठीक करें। बोलकर टंकण के समय आराम से बोलना जरूरी है। उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए। उच्चारण स्पष्ट होगा तो गूगल वॉइस आपकी आवाज के अनुसार टाइप करेगा। इस तरह आप अपनी भाषा और लिपि की फाइल को किसी और को भी शेयर कर सकते हैं। चाहे पीडीएफ में या किसी और सॉफ्टवेयर में।
डॉ ब्रजेश गौतम ने अपनी भाषा और लिपि की सुरक्षा हेतु प्रयोग आवश्यक बताया । अपनी भाषा और लिपि का खुद ही संरक्षण और संवर्धन करने के लिए कहा, किसी दूसरे से अपेक्षा न करें। स्वयं ही ब्रांड एम्बेसडर बनें। आपकी अपनी लिपि का खुद ही प्रचार प्रसार करेंगे तो लिपि बचेंगी अन्यथा समाप्त हो जाएंगी।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डॉ विनोद बब्बर ने बताया- हमें अपनी भाषा और लिपि में तथा देवनागरी लिपि में भी लिखना चाहिए, ताकि अपनी भाषाओं को दूसरे लोगों तक पहुंचा सकें। हमें अंग्रेजी के शॉर्ट्स रूप में नहीं जाना चाहिए। 26 अक्षर है इसलिए अंग्रेजी ठीक है ऐसा नहीं है। हम 'छत' को लिखते हैं तो हिंदी में दो अक्षर आते हैं और अंग्रेजी में पांच अक्षर आते हैं। तो आप समझ सकते हैं कि कम अक्षर किसमें आते हैं । और हम दूसरे की बात क्यों करें अपनी लिपि की विशेषताएं खुद बताएं । क्योंकि देवनागरी की विशेषता है- जैसी लिखी जाती है, वैसी ही पढ़ी जाती है। जैसी पढ़ी जाती है, वैसी सुनी जाती है, और उसी तरह से उसका अर्थ भी निकलता है । अंग्रेजी में बोला कुछ जाता है, लिखा कुछ जाता है ,समझा कुछ और जाता है। अपनी देवनागरी लिपि वैज्ञानिक भी है । इसके लिए हमें काम करना चाहिए। ऐसा नहीं है कि कोशिश करें और सफलता न मिले। ऐसी जगह जहां आपको स्वीकार किया जाता हो, वहां पर आप आग्रह करें- आपका कार्ड देवनागरी में होगा तो हम अवश्य आएंगे। जब हम लोगों की बातों पर ध्यान दें, तो पता चलता है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके घर में अंग्रेजी बोलना कोई जानता, न पढ़ता है; फिर भी प्रिंटर के पास जाकर झूठे स्टेटस के चक्कर में अंग्रेजी में कार्ड छपवाते हैं। अतिथि उसमें केवल स्थान देखते हैं कहां पर दावत मिलेगी? और किस समय में मिलेगी? लोग नाम तक नहीं जानते कि किस लड़का या लड़की की शादी है? ऐसे कार्ड का फायदा क्या।
श्री ईश्वर दयाल ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपनी भाषा को टाइप करना सीखना चाहिए। तभी भाषा और लिपि प्रयोग में बढ़ती जाएगी। हमें सोशल मीडिया पर अपनी लिपि में ही लिखना चाहिए। हमारे कंप्यूटर सॉफ्टवेयर भारतीय भाषाओं में होने चाहिए। अन्यथा एक दिन ऐसा भी आएगा कि हमारी लिपि के साथ हमारी भाषाएं भी समाप्त हो जाएंगी। हमें सरकार को सचेत करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में श्रोताओं के प्रश्नों का उपस्थापन श्री राहुल शर्मा रेडियो जॉकी ने किया और तकनीकी सहयोग डॉ संदीप उपाध्याय और डॉ सोहन कुमार ने किया। इस राष्ट्रीय वेबिनार में 970 लोगों ने पंजीकरण कराया। 250 प्रतिभागी कार्यक्रम के दौरान लगातार उपस्थित रहे। गूगल मीट पर सीमित संख्या होने के कारण काफी लोग प्रतीक्षा में रहे, कुछ प्रतिभागियों ने यूट्यूब और फेसबुक पर भी कार्यक्रम को देखा। सभी प्रतिभागियों ने गोष्ठी को उपयोगी और ज्ञानवर्धक बताया। धन्यवाद।
No comments:
Post a Comment