संत गणिनाथ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मोहम्मदाबाद गोहना मऊ में संस्कृत विभाग के तत्वावधान में 'संस्कृत छंदसाम शिक्षणम अनुप्रयोगश्च' विषयक सप्तदिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन दिनांक एक जून से सात जून 2020 तक किया गया ।एक जून 2020 को उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजाराम शुक्ल जी, विशिष्ट अतिथि के रूप में सुज्ञान कुमार माहान्ति जी एवं सारस्वत अतिथि के रूप में प्रो. मनु लता शर्मा जी (काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी) उपस्थित रहीं।मुख्य अतिथि प्रोफेसर शुक्ल जी ने संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत छंदशास्त्र एक महत्वपूर्ण विषय है,जिससे वर्तमान में संस्कृत अध्येताओं और काव्यरचनाकारों को गति मिलेगी ।प्रतिदिन इस कार्यशाला में दो सत्र होते थे -प्रथम शिक्षण सत्र एवं द्वितीय अनुप्रयोग सत्र ।प्रथम सत्र में शिक्षण हुए छंदों पर ही द्वितीय सत्र में अनुप्रयोग करना होता था। शिक्षण सत्र में प्रो.बलदेवानंद सागर, प्रो. मुरली मनोहर पाठक, प्रो. रामसुमेर यादव, डॉ.नवलता, आदि कुल 20 प्रशिक्षकों द्वारा लगभग 30 छन्दों पर प्रशिक्षण हुआ, जिसमें कुल 415 शिक्षकों ,शोधार्थियों एवं संस्कृत अनुरागीयों ने प्रतिभाग किया।अनुप्रयोग सत्र में चार गण क्रमशः कालिदासगण, भवभूतिगण, वेदव्यासगण,भासगण बनाए गए थे ।प्रत्येक गण में शताधिक प्रतिभागियों ने विभिन्न छंदों पर अनुप्रयोग किया। आज दिनांक 7 जून 2020 को अंतिम समापन सत्र में डॉ.वाचस्पति मिश्र ,अध्यक्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यशाला की सार्थकता तभी होगी जब सभी प्रतिभागी छंदशास्त्र को आत्मसात करने के साथ-साथ संस्कृत काव्य रचना में भी प्रवृत्त होंगे। सारस्वत अतिथि के रूप में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर ,मध्य प्रदेश के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.रहस बिहारी द्विवेदी जी ने बताया कि यह बहुत सुखद क्षण है कि मैं संस्कृत अनुरागियों और नवोदित कवियों से इस कार्यशाला के माध्यम से परिचित हो रहा हूं । मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह कार्यशाला सबके लिए उपादेय एवं लाभकारी तब होगी जब हम स्वयं प्रेरित होने के साथ-साथ दूसरों को शुद्ध संस्कृत बोलने एवं संस्कृत पद्यरचना के लिए प्रेरित करेंगे । इस सप्तदिवसीय कार्यशाला के दोनों सत्रों प्रतिभागियों को छंद ज्ञान कराने में डॉ.निरंजन मिश्र, डॉ.कमला पाण्डेय, डॉ.राजेन्द्र त्रिपाठी रसराज, डॉ.अरविन्द तिवारी, डॉ.अरुण कुमार निषाद, डॉ.शैलेश कुमार तिवारी, डॉ.शशिकांत शास्त्री, डॉ.राजकुमार मिश्र, डॉ.संजय कुमार चौबे आदि का विशेष सहयोग प्राप्त होता रहा है । सभी अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के यशस्वी प्राचार्य डॉ.सतीश चंद्र कुमार जी एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ आर.एन.यादव ने किया ।कार्यशाला के समन्वय डॉ.चंद्रकांत दत्त शुक्ल ,सचिव डॉ. अवनीश कुमार सिंह एवं सह संयोजक डॉ.राकेश कुमार जी ने मार्गदर्शन एवं सहयोग के लिए सभी विद्वानों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित किया।
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