Impact Factor - 7.125

Wednesday, June 17, 2020

व्यंग्य--आज खुश तो बहुत होगे तुम

  जैसे फर्स्ट डे फर्स्ट शो के कई दीवाने होते हैं, ‘यह खबर सबसे पहले हमारे चैनल’ पर या ‘देश का सबसे तेज चैनल’ या  , फर्स्ट फिंगर फर्स्ट वाली कैटेैगरी के प्राणी होते हैं, ठीक वैसे ही भक्तों की भी एक प्रजाति है जो मंदिर खुलने से पहले वहां पहंुच जाती थी या धार्मिक समागमों में भी रात के समय दरी बिछा कर अपनी सीट पक्की कर लेती थे । ऐसे कितने ही भगवान के दर्शनार्थी थे जो मंदिरों का लॉक ओपन होते ही सबसे पहले मैं की हाजिरी लगाने में पीछे नहीं थे।

    पहले दिन ,पहले मैं की दौड़ और होड़  में हमारे मित्र बाबू कोरोना प्रसाद गुप्ता थे । वैसे उनका नाम के.पी .गुप्ता है परंतु कोराना के आपातकाल में पुलिस ने उनके कई विश्ेाष अंग बार बार लाल किए, सड़कों पर डांडिया खिलाया, डड्डू डांस करवाया। रही  सही कसर उनके पड़ोसियों ने निपटा दी। उनका पड़ोसी कोरोना पाजिटिव निकला और के.पी जी तीन बार 14..- 14 दिनों के लिए हाउस अरेस्ट हो गए। तब से उनका शुभ नाम मुहल्ले में कोरोना प्रसाद हो गया।

   भगवान का लॉक खुलते  ही सबसे पहले इन्हांेने ही  भक्तों की सुपर कैटैगरी में अपना नाम दर्ज करवा दिया। जूते , जूता घर में सजाए, हाथ सेनेटाइज करवाए, मास्क लगाए, ग्लॅव्ज पहने , थर्मल स्क्रीनिंग से गुजरे, एक मशीन ने फूलों की जगह अन्य सैनेटाइजर की फुहार छोड़ी। मोबाइल में आरोग्य सेतु एप पर उनका स्टैटस चेक हुआ। बाबू के.पी,को  मूर्ति से दस फीट दूर बंधी रस्सी से भी दूर खड़ा किया गया । के .पी. को ऐसे लगा मानो  मंदिर में नहीं कोरोना संेटर जा रहे हैं।

   पंडित जी ने सोचा ,मन न ही मन ये भक्त, कोराना खत्म होने की प्रार्थना करेंगे परंतु कोरोना प्रसाद, बायां हाथ कमर पर टिका  कर और थोड़ा टेढ़ा होकर, अमिताभ बच्चन स्टाइल में शुरु हो गए ,‘ आज खुश तो बहुत होगे तुम........ कि आज तुम्हारे मंदिर से बैन उठा लिया गया है। लॉकअप से बाहर आ गए हो तुम। सतयुग में शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए साढ़ेसाती के दौरान पानी में छुपना पड़ा आशुतोष  कहलाए और कलयुग में ,शनि कोरोना बन कर तुम्हें 80 दिन की सजा दे गया। और अभी आगे की कोई गारंटी नहीं। मैं तुम्हारे मंदिर की सीढ़ियों पर जिंदगी भर नाक रगड़ता रहा, प्रसाद चढ़ाता रहा, तालियां बजा बजा कर भजन करता रहा......... और तुमने मुझे क्या दिया ? 42 दिन का क्वारेंनटाइन ?’ 

    कोरोना प्रसाद चालू रहे,‘ मैं तुम्हें बड़ा शक्तिशाली समझता रहा। मेरी भूल थी। शक्तिशाली तो कोरोना देव निकला । हमने समझा तुम्हीं तांडव करते हो लेकिन इसने  तो सारे जहान में  तांडव मचा डाला। तुम बस डमरु बजाते रह गए, वो पूरे अमरीका , इटली, इंगलैंड समेत भारत का बैंड बजा गया और तुम देखते रहे, दुबक कर मंदिर में छिप गए।’

    अब तुम्हें भी सजा मिलेगी, बरोबर मिलेगी। न कोई प्रसाद चढ़ाएगा न पैसे। न जल चढ़ाएगा न फूल पत्ते। न कोई तुम्हारे नजदीक आएगा, न कोई तुम्हारे आगे नाचेगा। न कीर्तन मंडली की महिलाएं फिल्मी तर्जों पर भजन गाएंगी, न कोई नाचेगा। तुम्हें भी हमारी तरह वक्त का पाबंद रहना होगा। भक्त तुमसे 6 फुट दूर रह कर बात करेंगे। पहले भक्त तुम से डरता था, अब तुम उससे डरोगे कि कहीं तुम्हें संक्रमण न हो जाए। तुम अपने आप को बहुत बड़ा समझते थे। अब बताओ कोरोना बड़ा कि तुम ? आज इंसान प्रार्थना करेगा कि तुम भी शनि रुपी कोरोना से मुक्त हो जाओ और तुम्हारे भी अच्छे दिन आ जाएं।

तभी कोरोना प्रसाद को पुलिस वाले का डंडा दिखा और वे चुपचाप दूसरी पतली गली से निकल लिए।

मदन गुप्ता सपाटू, 458, सैक्टर 10, पंचकूला

No comments:

Post a Comment

Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal, January - 2025 Issue