बाढ़ का प्रकोप
बादल को फटते देखा है
बाढ़ में बर्बादी की रेखा है
डूब गई घरबार
चौपट हो गई फसलें
पानी की तेज़ रफ़्तार
अपने साथ सब कुछ
बहा ले जाने को है बेताब
चाहें पेड़ हो, बिजली की खंभे
या मकान जो भी रास्ते में
आता वह पानी की भेंट
चढ़ जाता
रास्तों के किनारे आश्रय
ढूंढते लोग
दाना- पानी को तरसते लोग
बदलते रहे साल पर साल
क्यों है लोगों का वहीं हाल?
राज कुमार साव
बादशाही रोड माठ पारा बर्धमान
पूर्व बर्धमान
पश्चिम बंगाल
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