जिस प्रकार
बहरूपिया
बदल लेता है नित
अपना रूप
इसी प्रकार
प्रकृति भी
लेती है बदल
नित नया रूप
कभी हवा सुहावनी
कभी धूल भरी आंधी
कभी शीत-लहर
कभी झुलसाती लू
कभी धुंध
कभी बरसात
कभी ओलावृष्टि
कितने रूप
बदलती है प्रकृति
-विनोद सिल्ला
(Peer Reviewed, Refereed, Indexed, Multidisciplinary, Bilingual, High Impact Factor, ISSN, RNI, MSME), Email - aksharwartajournal@gmail.com, Whatsapp/calling: +91 8989547427, Editor - Dr. Mohan Bairagi, Chief Editor - Dr. Shailendrakumar Sharma IMPACT FACTOR - 8.0
No comments:
Post a Comment