Impact Factor - 7.125

Friday, August 28, 2020

बाल कविता - गणपति विसर्जन

बाल कविता - गणपति विसर्जन



प्यारे दादू , प्यारे दादू , जरा मुझको ये समझाओ।
क्यों करते है , गणपति पूजा मुझको ये बतलाओ।
क्यों विसर्जन करते गणपति,मुझको ये बतलाओ।
ये क्या रहस्य है दादू , जरा मुझको ये समझाओ।


पास मेरे तुम आओ बाबू , तुमको मैं समझाता हूँ।
क्या होता गणपति विसर्जन तुमको ये बतलाता हूँ।
देखो बाबू , गणेश विसर्जन हमको ये समझाता है।
मिट्टी से जन्मे है हम सब,फिर मिट्टी में मिल जाते है।


मिट्टी से गणपति मूर्ति बनाकर,उनको पूजा जाता है।
प्रकृति से बनी मूरत को फिर प्रकृति को सौंपा जाता है।
जीवन चक्र मनुष्य का भी कुछ यूँही चलता जाता है।
अपने कर्मो को पूरा कर इंसान मिट्टी में मिल जाता है।


नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).


No comments:

Post a Comment

Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal, January - 2025 Issue