सबसे प्यारा तिरंगा हमारा
कर रहा वन्दन देश तुम्हारा
अभी पूर्ण स्वाधीन नहीं है हम
स्वार्थ, शोषण पराधीनता है सम
आओ अब बदलते अपने विचार है
सभी को जन-गण-मन स्वीकार है
जन-जन को मातृहित स्वीकार हो जब
हम करें मातृभूमि का सम्मान अब
हर जगह लहराएगा तिरंगा जब
होगा हिंदुस्तान का गर्वित मस्तक तब
सबसे प्यारा तिरंगा हमारा
कर रहा वन्दन देश तुम्हारा।।
नाम-दिनेश प्रजापत"दिन"
गांव-मूली, जालोर (राज)
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