गुरू / शिक्षक
मेरे उस्ताद जी मेरे गुरू जी
मुझ पर अनन्त कृपा आपकी
सौम्य अति प्रसन्न रुप आपका
आपके दर्शन ही है सुखकारी ।
तुम किसी संत से कम नहीं
आपकी सुन्दर मूरत ही न्यारी
ज्ञान का जो दान देकर मुझे
आपने ही बनाया था संस्कारी ।
मेरे मन के विकार सब दूर हुवै
जब से गुरुवर दर्शन लाभ हुवै
धर्म-कर्म दुनियाँ का ज्ञान दिया
जीवन भर का मैं हूँ आभारी ।
गुरू-उस्ताद बिन ज्ञान अधूरा
इनकी कृपा से ही जीवन पूरा
सृष्टि की अतुल्य निधि हो आप
"नाचीज" की नैया आपने तारी ।
स्वरचित/ मौलिक
====================
मईनुदीन कोहरी " नाचीज बीकानेरी "
बीकानेर , राजस्थान
(Peer Reviewed, Refereed, Indexed, Multidisciplinary, Bilingual, High Impact Factor, ISSN, RNI, MSME), Email - aksharwartajournal@gmail.com, Whatsapp/calling: +91 8989547427, Editor - Dr. Mohan Bairagi, Chief Editor - Dr. Shailendrakumar Sharma IMPACT FACTOR - 8.0
Saturday, September 5, 2020
गुरू / शिक्षक
Aksharwarta's PDF
-
मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा | पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या | मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई भूमिका : लोक ...
-
सारांश - भारत मेे हजारों वर्षो से जंगलो और पहाड़ी इलाको रहने वाले आदिवासियों की अपनी संस्कृति रीति-रिवाज रहन-सहन के कारण अपनी अलग ही पहचान ...
-
हिन्दी नवजागरण के अग्रदूत : भारतेन्दु हरिश्चंद्र भारतेंदु हरिश्चंद्र “निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति कौ मूल” अर्थात अपनी भाषा की प्रगति ही हर...
No comments:
Post a Comment