Impact Factor - 7.125

Tuesday, October 20, 2020

अधूरेसपनें…

“उठ जा राहुल बेटे….”


माँकी आवाज़ कान में पड़ी तो राहुल अपनी आँखें मलते हुये उठकर बैठ गया।वो अंगड़ाई लेते हुए अपने सपने के बारे में सोचने लगा। कुछ याद आते ही उसकी आंखें चमकने लगी। वो जल्दी से चारपाई से उठा और भागते हुए अपनी माँ से लिपट गया।


माँ-“उठ गया मेरा राजा बेटा! जा जाकर मुँह धोलें।”


राहुल-“माँ आज मैंने सपने में देखा कि पिताजी घर आये हैं।”


शांति(राहुल की माँ) अपने 8 साल के बेटे के चमकते आंखों को देखते हुए सोच रही थी“कितना मासूम है मेरा बच्चा,इसे कैसे बताऊँ की इसके पिता अब कभीवापसनहीं आने वाले।” राहुल के पिता भारतीय सेना में थे जो सीमा पर लड़ते हुए शहीद हो गए थे।तब राहुल सिर्फ 5 साल का था।उनका शव द्वार पर रखा हुआथा और राहुल उन्हें उठा रहा था। शांति ये देख करफूट-फूट कर रो रही थी। जब उनके शव को दाह-संस्कार के लिए ले जाया गया तो शांति ने उसे समझाया था कि उसके पिता भगवान के पास चले गए हैं। तब से वो हमेशा पूछता रहता है कि उसके पिता कब वापस आएंगे। आज 5 साल से वो अकेले अपना और अपने बेटे का लालनपालन कर रही है। वो कपड़ों की सिलाई करती है और उसी से उसका घर चलता है। आज अपने बेटे की ओर देखते हुए सोच मेंडूबी हुई थी तभी राहुल ने उसका आँचल खींचते हुए फिर बोला,


राहुल-“बोलो न माँ,पिता जी कब आएंगे?”


शांति-“आएंगे बेटे जब तुम तीसरी कक्षा में प्रथम आओगे।”(शांति ने उसे फुसलाने के लिए कह दिया।)


ये सुन कर राहुल खुश हो गया। वो मुँह धो कर तैयार हुआ। दोनों ने साथ में खाना खाया। फिर राहुल अपने दोस्त करण के साथ स्कूल जाने के लिए निकल गया।


दो महीने बाद परीक्षा थी। राहुल ने पूरी मेहनत करना शुरू कर दिया।अपने बाल-मन में अपने पिता से मिलने की कल्पना करते हुए दो महीने कैसे बीत गये पता भी नहीं चला। परीक्षा आया और चला गया। परीक्षा के बाद छुट्टियां शुरू हो गयी।राहुल पूरी छुट्टियों में बस छुट्टियां खत्म होने का इंतजार करता रहा।खैर छुट्टियां खत्म हुई और परिणाम का दिन भी आ गया।


आज राहुल बहुत खुश था। आज उसने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया था। अपना परिणाम लिए वो घर वापस लौट रहा था। रास्ते भर अपने पिता से मिलने की कल्पना कर रहा था। वो अपने पिता से ये कहेगा, वो कहेगा। उनसे कह के बहुत से खिलौने खरीदेगा।अपने बाकी मित्रों की तरह अपने पिता के साथ मेला घूमने जाएगा। अपने नन्हे-नन्हे पैरो से चलता हुआ घर पहुंचा। शांति घर के काम काज में व्यस्त थी। राहुल भागता हुआ माँ के पास पहुंचा ओर उन्हें अपना परिणाम दिखा कर बोला,


 राहुल-“माँ, मैं अपनी कक्षा में प्रथम आया हूं।अब तो पिताजी आएंगे ना?”


शांति ने अपने बेटे के मासूम चेहरे कीओर देखा और उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसने राहुल को गले से लगा लिया। और फूट-फूट कर रोने लगी।मासूम राहुलअपनी माँ को रोता देख खुद भी रोने लगा। उस मासूम बच्चे को क्या पता कि कुछ सपने अधूरे ही रह जाते हैं,चाहें हम उसको सच करने के लिए कितनी भी मेहनत करें।



  • चाँदसमर


No comments:

Post a Comment

Aksharwarta's PDF

Aksharwarta International Research Journal December 2024 Issue