बाल कविता
*बचपन*
बचपन के दिन
कितने है हसीन ।
मजा नहीं आएं
दोस्तों के बिन ।।
नीर में ढूंढे रेत
खेलते ऐसे खेल ।
कभी मिट्टी आएं
कभी आएं रेत ।।
नीर में देख छवि
भरें किलकारी ।
घर बनाने की कर
रहें नन्हे तैयारी ।।
✍️ गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
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