- हनीमून पैकेज
- मदन गुप्ता सपाटू
- लव कुमार चालीसिया चुके थे। यानी 40 वसंत देख चुके थे और अब पतझड़ का स्टार्ट अप था। रिश्ते ढूंढने में किसी रिश्तेदार, पड़ोसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। माता पिता वैवाहिक विज्ञापनों , शादी वेबसाइटों की छाक छानते छानते और बूढे हो चले थे। रिश्तेदार उनका हाल चाल पूछते हुए एक ताना जरुर टिका डालते- लव का लव परवान कहीं चढा़ कि नहीं ? हालांकि लवकुमार इधर उधर मुंह मारते रहे लेकिन किसी सुकन्या तो क्या किसी परित्यकता या विधवा तक ने घास नहीं डाली।
ज्योतिषियों बाबाओं के खूब चक्कर काटेे। दान दक्षिणा में लुटे। देख दिखाई भी खूब हुई। कभी कोई उनको पसंद न आता कभी वो ऐसे रिजैक्ट हो जाते जैसे बिना सिफारिश के इंटरव्यू देने गया केैंडीडेेट! लॉकडाउन के दौरान लवकुमार एक कंपनी से टपक गए लेकिन कुछ दिनों बाद बेंगलुरु की एक कंपनी के द्वारा लपक लिए। बस यहीं उनकी किस्मत का जंग खाया लॉक, लॉक डाउन में खटाक से खुल गया जब उसी दफतर में ऐसी ही हालातों से गुजरी हुई एक मोतरमा लवलीन टकर गई। बस रात की शिफ्ट में ऐनक के मोटे शीशों के पीछे से नजरें आठ हुईं और दिल गार्डन गार्डन हो गया। लव की शताब्दी में दोनों ऐसे सवार हुए कि एक दिन घर वालों को खबर कर डाली कि शादी की तैयारियां करो, हम आ रहे हैं। पिता जी ने एक बार सजेस्ट किया ठहरो! मैं जरा एक बार कुंडली मिलवा लेता हूं । उधर से बरखुरदार ने जोर से डांटा - आपके कुंडली मिलवाने के चक्कर में तो मेरी ये हालत हो चुकी है। और बूढ़ा करवाने का इरादा है क्या? इतना सुनते ही मुसदद्ी लाल , पंडित जी को बायपास करते हुए डायरेक्ट , माता मंसा देवी के दरबार में फुल स्पीड से पहुंचे। पांच सौ एक चढ़ाए। चौकी का वादा कर आए।
इधर सरकारी फरमान के अनुसार, सिर्फ 100 लोगों को गोल गप्पे , चाट, 135 तरह के पकवानों और दारु की छबील लगा कर बरसों से अटका हुआ अभियान पूरा हुआ।
अगले दिन लव कुमार और लवलीन, अपने बंगलौरी लव को भुनाने के लिए हनीमून जाने की योजना बनाने लगे। बापू अड़ गए कि पहले वैष्णों देवी जा आओ। तेरी मां ने सुखना सुखी थी! लव कुमार भड़का- हनीमून पे जाना है। कीर्तन करने नहीं। बापू ने समझाया - बेटा अपने हिन्दुस्तान में इतनी जगहें हैं वहां चले जाओ । नजदीक शिमला है। मोैसम भी आशिकाना है वहां। टॅवाय ट्रे्न भी सरकार ने शुरु कर दी है। एयर सर्विस भी चालू हो गई है। तीन की जगह 13 दिन लगा आओ। ज्यादा से ज्यादा गोवा जा आओ। लव कुमार बापू पर फिर भड़का- डैड ! आप अपने टाइम की बातें कर रहे हो । आपके टाइम तो हनीमून का कांसैप्ट होता ही नहीं था। जमाना बदल चुका है । हर कपल फारेन में जाता है मैरिज के बाद। और हमारी मैरिज भी ऐसे वक्त हुई है जब टोटल गैस्ट मेरे समेत 100 ही थे। एक सौ एकवें जो फूफा जी निकले थे उनको तो पुलिस ही उठा के ले गई थी ।आपका कितना खर्चा बचा! और आपने अब कोई अडं़गा लगाया तो सारी उम्मीदों पर ट्र्ैक्टर फेर दूंगा।
लवकुमार ने मोबाइल पर ही मेक मॉय ट्रिप पर मालदीव के लिए तीन रातें -चार दिन का पैकेज करवाया, एक डॉक्टर से नेगेटिव रिपोर्ट का सर्टीफिकेट बनवाया और लैंड कर गए सपनों से भी ज्यादा खूबसूरत हनीमून डेस्टीनेशन पर।
लैंड करते ही वहां की सरकार ने उनका चैक अप करवाया। उन्हें पॉजीटिव करार दे दिया और मियां बीबी को एक ही होटल में अलग अलग कमरों में क्वारंटीन कर डाला। लाइफ हो गई झींगा लाला। जहाज में दोनो बॉबी बनकर गा रहे थे- हम तुम एक कमरे में बंद हो , और चाबी खो जाए। अब उल्टा गाना पड़ रहा था- तू कहां ...मैं कहां ..इस अन्धे जहां में ?
ट्रैवल कंपनी का तीन रात- चार दिन का पैकेज ओवर। खेल खतम -पैसा हजम। होटल का मीटर चालू । होटल ने रिहाई के समय 10 लाख का बिल पेश कर दिया। लव कुमार जी जिसे वहां की सरकार की भारत सरकार की तरह खातिरदारी समझ रहे थे , गलत फहमी दूर हो गई। बिल देख कर दिल बैठ गया। बिल का मामला दिल का मामला बन गया। लवकुमार और लवलीन बेगम का लव जिहाद छू मंतर हो गया। बापू को फोन लगाया। इधर उधर से जुगाड़ करके बेचारे बापू ने मालदीव का बिल चुकाया। होटल से रिहा करवाया।
वहां की सरकार ने दोनों को विदा करने से पहले एक टैस्ट करवाया तो लवलीन जी पॉजिटिव हो गई। सरकार ने बोला- बेटा जी अब फिर चलो 14 दिन अंदर। लेकिन बिल्कुल अलग अलग। इस बार एक होगा एक जगह, दूसरा होगा क्वारंटीन सेंटर में । इस नेगेटिव- पॉजिटिव के चक्कर में बापू जी का शार्ट सर्कट हो गया और उनका फ्यूज उड़ते उड़ते बचा।
फिर एक बार रिहाई के लिए हैवी खर्चापानी भेजा। अभी एक शॉक बाकी था। टिकटें कैंसल हो चुकी थी। उसका भी आधा रिफंड ही मिला और दूसरी तरफ नई टिकटों के रेट 30 हजार फुट की उंचाई से भी ऊपर चढ़ गए। मरते क्या न करते, वो भी स्पेशल परमिशन भारत सरकार से सिफारिश करवा के ली गई। रिश्तेदारों, बैंकों, प्राईवेट फायनांसरों के तरले करके जहाज के किराये का जुगाड़ किया गया। पंजाबी में बोले तो - मुसदद्ी लाल के तप्पड़ रुल गए। हाथों के तोते उड़ गए।
हनीमून के मतवाले जब दिल्ली उतरे तो भारत सरकार ने उन्हें फिर 14 दिन की सजा बामुशक्कत यानी अलग अलग कमरों में रहने की सुना दी। लौट के हनीमूनर घर को आए। कोई रिश्ते दार तो क्या कोई पडो़सी उनका हालचाल पूछने एक महीने तक नजदीक नहीं फटका क्यों कि लोकल हैल्थ विभाग ने उनके घर के आगे एक बाड़ लगा दी और बाहर एक पोेस्टर चिपका दिया -हैप्पी हनीमून यानी इस घर के आस पास फटकना मना है। फटके तो तुम भी धरे जाओगे।
लव कुमार और लवलीन ने तौबा कर ली..... हमारी क्या .... हमारे बाप की तौबा जो अब कभी हनीमून का नाम सपने में भी लिया....
- मदन गुप्ता सपाटू
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